जानी बिहार के लाल के जेल के कोठरी आ होटल के रसोई से होत बड़का पर्दा तक के सफर

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इ कहानी बिहार के लाल गोपालगंज के शान के हवे एही से एकरा भोजपुरी में पढ़े में मजा आयी काहे की इ कहानी अइसन इंसान के बा जे खुद भोजपुरी जिला से बाड़न।

पंकज त्रिपाठी
पंकज अपना माँ अउरी पापा के साथ

 

पंकज त्रिपाठी एगो अइसन फिल्मस्टार के नाम ह जेकरा लगभग सभे जानता। पंकज त्रिपाठी अपना नाम से अधिक कालीन भैया से जानल जाले। जवन नाम इनकार एगो हिट वेब सीरीज मिर्जापुर से मिलल बा।

इनकार फिल्मस्टार बने के सफर एगो बॉलीवुड फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ ह जेमे ड्रामा, सपना, अस्वीकृति अउरी आशा बा। पंकज 2012 में अनुराग कश्यप के ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के साथ प्रमुखता हासिल कइला से पहीले कई फिल्म में अल्पकालिक अभिनय कइले। आज पंकज के बच्चा बच्चा जानता।

पंकज त्रिपाठी
पंकज वेब सीरीज आ फिल्म में

पंकज एगो इंटरव्यू में बतवले की “एगो समय रहे जब हम आपन फोन के अपना घर में एक जगह पर रख दी, जहाँ अच्छा नेटवर्क आवे के संभावना रहो, ताकि हम कवनो कॉल मिस न कर सकी। हम कास्टिंग डायरेक्टर्स और एड्स से फ़ोन कॉल के प्रतीक्षा करी। लेकिन फोन की घंटी बजे के वजाय दिन बीतत जाए। आपन शुरुआती दिन के संघर्ष याद कर के उ कहले की “आज स्थिति अइसन बा कि हम कईगो कॉल के जवाब ना दे सकेनी। हम अभीयों एगो अइसन ग्रामीण हई जेकरा अपना अभिनय से प्यार रहे।

बिहार राज्य के गोपालगंज जिला के बेलसड़ गांव से एगो किसान के बेटा के जन्म भइल जे आगे चल के बॉलीवुड में आपन अलग पहचान बना लेले।  छोटे उम्र से पंकज नाटक में अभिनय खातिर आगे रहस आ नाटक में लईकी भी बन जास। बाद में उच्च अध्ययन खातिर उ पटना चल गइले। ईहा से शुरू भईल जीवन के नया सफर। पंकज के रंगमंच के अइसन शौक रहे की 1994-95 तक उ पटना में आयोजित सब स्टेज परफॉरमेंस आ नाटक देखे खातिर साइकिल चला के जास। 1996 तक उ खुद के दूसरे तरफ पइले जहा उ कलाकार बन गइले। रात के होटल के रसोई में काम कर के आ फेर सुबेरे थिएटर करस।

उ दू साल तक पांच घंटा सुतस आ फेर 2 बजे से 7 बजे तक थिएटर करस। बाद में 11 से 7 बजे तक होटल में काम करस। अब उनकर तलाश एगो अइसन जगह के शुरू भईल जहा फ्री फ़ोकट में अभिनय सिखावल जाए कहे की घर से उ ओतना मजबूत ना रहले की पइसा मिल सके,पापा एगो मामूली किसान रहले। तलाश खत्म तब भईल जब इनकरा दिल्ली के राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) के बारे में पता चलल। 12वीं के बाद ई पढ़ाई बंद कर देले रहले आउर होटल मैनेजमेंट के ट्रेनिंग लेले रहले। फेर से कॉलेज में दाखिला लिहले आ रात के शिफ्ट में हिंदी साहित्य में स्नातक के पढ़ाई पूरा कईले। कॉलेज में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) भाजपा के कैंपस विंग में भी शामिल भइले अउर एक छात्र आंदोलन में भाग लेबे ला ई एक सप्ताह खातिर जेल भी गइले। छोट जेल के बैरक इनका मन में कई ख्याल आईल आ ओहीजा से बदलल इनके दिशा। इनका खातिर पूरा दुनिआ से अलग दुनिया खुल गईल।

जब 2004 में एनएसडी में आपन कोर्स पूरा कइले, जहां अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी इनका से आठ साल वरिष्ठ रहले। ओहि साल 16 अक्टूबर के पंकज आपन जेब में 46,000 रुपये के साथ मुंबई के रास्ता बनवले। 25 दिसंबर तक उनका लगे खाली 10 रुपये बचल रहें। ओहि दिन पंकज के बीबी के जन्मदिन भी रहें। पंकज के लगे केक चाहे उपहार खरीदे के भी पैसे ना रहें। इनका लगे किराया देबे के भी पैसा ना रहे पर  आगे इनका ‘रन’, ‘अपरान्ह’ अउर ‘ओंकारा’ जईसन कई प्रसिद्ध फिल्म में हिस्सा बने के मिलल, पर साइड एक्टर या तनिक छड़ खातिर।

पंकज त्रिपाठी
पंकज त्रिपाठी

आठ साल तक छोट मोट किरदार कर के आखिरकार  ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर” किस्मत के दरवाजा खट खटइलस आ मेहनत के असर भईल। ओकरा बाद त जैसे पंकज पर भगवन खुश हो गइले आ इनके जीवन बदल गईल। ‘फुकरे’, ‘निल बटे सन्नाटा’ आउर ‘बरेली की बर्फी’ जईसन फिल्म में काम करे के मौका मिलल।

41 वर्षीय पंकज के पिछीला साल नौ गो फिल्म रिलीज़ भईल आ किस्मत चमक गईल। फिल्म ‘न्यूटन’ में बेहतर प्रदर्शन खातिर राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार हासिल कर के एगो विशेष उल्लेख हासिल कइले। मिर्जापुर जईसन वेब सीरीज में मेन रोल में काम करे के मौका मिलल आ नाम रहे कालीन भैया। मिर्जापुर वेब सीरीज हिट भी कईलस आ ओहि वेब सीरीज से पंकज के नया नाम मिलल कालीन भैया। एह वेब सीरीज के कई गो डायलॉग फेमस भी भईल आ बच्चा बच्चा के जुबान  पर आ गईल रहें। आज पंकज त्रिपाठी बॉलीवुड में चमकत सितारा बाड़े। त इ रहे आज के एगो चमकत सितारा के कहानी नाम पंकज त्रिपाठी उर्फ़ मिर्जापुर के कालीन भैया।

पंकज त्रिपाठी
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