जब डोमराजा मुखाग्नि से इनकार कर देहल

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धर्मनगरी वाराणसी में रविवार के कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते पहिला मौत सामने आईल। ओकरा बाद महाश्मशान हरिश्चंद्र घाट पर ओह बेरा अफरा-तफरी मच गईल जब मृतक के दू गो परिजन उनकर शव लेके अंतिम संस्कार खातिर घाट पर पहुंचल। घाट पर लोग के जब पता चलल कि शव कोरोना पीड़ित के ह, त ऊहाँ अफरा-तफरी मच गईल। क्षेत्रीय लोग हंगामा करे लागल. शव आवते मुखाग्नि देने से इन्कार करत डोम परिवार घाट छोड़कर भाग गईल। घाट पर बनल प्राकृतिक शवदाह गृह के कर्मचारी लोग भी शव के हाथ लगावे अउरी जरावे से इन्कार कर देहल। मोहल्ला के लोग भी विरोध करत शव के कहीं और ले जाए के मांग करे लागल।
वाराणसी के गंगापुर निवासी पचपन वर्षीय व्यापारी के मौत हो गईल। मौत के दूसरे दिन व्यापारी के रिपोर्ट में कोरोना पॉजिटिव मिलल। प्रशासन घर के दू गो सदस्य के अंतिम संस्कार खातिर शव दे देहलस. जब ऊ दुनु परिजन शव लेकर हरिश्चंद्र घाट पहुंचल त ऊहां मौजूद डोम राजा के परिवार घबरा गईल। सूचना आईल कि डोम परिवार शव के हाथ लगावे अउरी मुखाग्नि देवे से इनकार कर देहलस। एकरा साथ ही इलाके के लोग भी आपत्ति जतावल. मामला इलाके के पार्षद के पास भी पहुंचल।

सीएनजी शवदाह गृह में कईल गईल अंत्येष्ठि 

सूचना पर स्वास्थ्य विभाग अउरी भेलुपर थाना पुलिस भी पहुंचल। डोम राज परिवार के समझावे के प्रयास कईल गईल। दू घंटा के बाद कवनो तरीका से क्षेत्रीय लोग राजी भईल. ओकरा बाद प्राकृतिक सीएनजी शवदाह गृह में शव के अंत्येष्ठि कईल गईल। हालांकि पारंपरिक रीति रिवाज से शव दाह खातिर डोम परिवार तैयार ना भईल।

हमनी के जानेनी कि हिन्दू धर्म मे बनारस के का महत्व बा। बनारस के धर्मनगरी कहल जाला। बूढ़ पुरनिया लोग गंगा घाट पर आके मृत्यु के कामना करेला ताकि मोक्ष मिले। गंगा तट पर तमाम पाप से मुक्ति मिलेला अइसन मान्यता बा। काशी के कहल जाला कि ऊ शिव जी के त्रिशूल पर बसल बा। एही से ई नगरी एतना पवित्र मानल गईल बा। इहाँ के डोम राजा के जिम्मे बा मृत लोग के अंतिम संस्कार कईल। जब तक डोम के हाथ ना लागी,संस्कार अधूरा मानल जाला। लेकिन कोरोना ले कहर के कारण डोम लोग असहयोग कर रहल बा। अइसन वक़्त में एहतियात बरतल बाह्य जरूरी बा।

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