वक्त जख्म देला, त मरहम भी लगावेला

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शादी-बियाह क मामला में अक्सर अइसन सुनें में आवेला कि अगर बियाह ना करब त बुढ़उती में बड़ी परेशानी होई, त कोई कहेला कि बेटा ना होई त बुढ़ापा कइसे कटी। अइसने कहाउत कह के लइकियन के भी ताना दिहल जाला कि बिना मरद के जिंदगी सुकुन से ना कटी, लईकीन के दाना पानी मायका में ज्यादा दिन के ना होला।

अइसनें कहावत के सच कर देवे वाला एगो घटना बिहार के गया जिला से सामने आइल बा। बोधगया के अतिया निवासी 70 साल के रामाशीष यादव के बियाह वजीरगंज के रहे वाली 23 साल के लक्ष्मी के संगे कानूनी तरीका से सम्पन्न भईल।

70 साल के उमर में दूल्हा बनल रामाशीष यादव कोर्ट में बियाह के बाद कहले कि, अईसे त उ नातबेटा वाला आदमी हवे लेकिन पिछला साल जब उनकर पत्नी के देहांत भ गईल तब से बेटापतोह उनका संगे बहुत खराब व्यवहार करे लगलन। जेकरा चलते रहे-खाए के समस्या खड़ा हो गईल अउर एकरे चलते उ फेर से ए उमर में बियाह करे प मजबूर हो गईलें।

ओहिजे, 23 साल के उमर में दुल्हिन बनल लक्ष्मी के कहानी कम दर्द भरल नईखे। लक्ष्मी के इ दूसरका बियाह ह। पहिलका पति लइका ना होखला के चलते उनुका के छोड़ देले रहलन।

लक्ष्मी के कहना बा कि पहिलका पति के छोड़ला के बाद उ नईहरे में गुजर-बसर करत रहली बाकी माई-बाप के ना होखला के चलते दिक्कत होखत रहे। एही से उ अपना मर्जी से 70 साल के आदमी संगे बियाह करे खाती तैयार हो गईली।

दुनों के जिंदगी, उम्र, व्यवहार में कवनों तरह के मेल नइखे, बाकी फिर भी नियती दुनों के आमने-सामने ला खड़ा कइलस। शायद एही से कहल जाला कि वक्त जख्म देला, त मरहम भी ओही लगावेला। अब उ दुनों एकदुसरे के जिंदगी के मरहम बन गइल बाड़न। 

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