मातृभाषा – Gahana Live https://www.gahanalive.com Gahana Sat, 22 Feb 2020 10:51:36 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.4 भोजपुरी साहित्य में महिला रचनाकारन के भूमिका- लोकार्पण और परिचर्चा https://www.gahanalive.com/bhojpuri-samachar/role-of-women-creator-in-bhojpuri-literature-inauguration-and-discussion-3105 https://www.gahanalive.com/bhojpuri-samachar/role-of-women-creator-in-bhojpuri-literature-inauguration-and-discussion-3105#respond Sat, 22 Feb 2020 10:46:54 +0000 https://www.gahanalive.com/?p=3105 ‘इसमें कोई संदेह नहीं कि लोकगीत, लोक संस्कृति और लोक साहित्य को सुरक्षित रखने और बढ़ाने में महिलाओं का सबसे ज़्यादा योगदान है।’ ये कहना था प्रो. अर्जुन तिवारी का। मौका था बीएचयू के राहुल सभागार में आयोजित कार्यक्रम ‘पुस्तक लोकार्पण सह परिचर्चा’ के अन्तर्गत ‘भोजपुरी साहित्य में महिला रचनाकारन के भूमिका’ के लोकार्पण का। […]

The post भोजपुरी साहित्य में महिला रचनाकारन के भूमिका- लोकार्पण और परिचर्चा appeared first on Gahana Live.

]]>
‘इसमें कोई संदेह नहीं कि लोकगीत, लोक संस्कृति और लोक साहित्य को सुरक्षित रखने और बढ़ाने में महिलाओं का सबसे ज़्यादा योगदान है।’ ये कहना था प्रो. अर्जुन तिवारी का। मौका था बीएचयू के राहुल सभागार में आयोजित कार्यक्रम ‘पुस्तक लोकार्पण सह परिचर्चा’ के अन्तर्गत ‘भोजपुरी साहित्य में महिला रचनाकारन के भूमिका’ के लोकार्पण का।

सर्व भाषा ट्रस्ट, नई दिल्ली के तत्वावधान में भोजपुरी अध्ययन केंद्र में आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो विजयनाथ मिश्र तथा मुख्य वक्ता प्रो अर्जुन तिवारी थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता भोजपुरी अध्ययन केंद्र के समन्वयक प्रो श्रीप्रकाश शुक्ल ने की।

मुख्य अतिथि प्रो .विजयनाथ मिश्र ने किताब पर चर्चा करते हुए कहा कि भोजपुरी की निशानी गमछा, लाठी और गाली भी है। भोजपुरी की यह ख़ासियत है कि भोजपुरी समाज में रहने वाले जो लोग भी इस भाषा में अपनी  बात कर लिया करते हैं। महिलाएं हमारी भाषा को ही ज़िंदा रखने में अपनी भूमिका सिर्फ़ नहीं निभाती बल्कि संस्कृति और संस्कार को भी बचाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।भोजपुरी को उन्होंने गहरे समर्पण की भाषा बताया।

मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित प्रो .अर्जुन तिवारी ने कहा कि इस पुस्तक के अनेक लेख भोजपुरी साहित्य को आगे बढ़ाने में महिलाओं की भूमिका को तलाशने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इस पुस्तक के दूसरे खण्ड में जिसमें कुछ कहानियां संग्रहित है। ये कहानियां गांव परिवार से भी जोड़ती है और समय के बदलाव की तरफ़ इशारा भी करती हैं। नारी सशक्तिकरण पर कई कविताएँ इस पुस्तक की रोचक है। लेकिन इस पुस्तक में महिलाओं के नाटक और उपन्यासों को लेकर कोई चर्चा नहीं है लेकिन उम्मीद है कि इसके अगले भाग में उन विषयों की भी चर्चा होनी चाहिए।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के पूर्व संध्या पर आयोजित इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी विशेषता है कि हम एक ऐसे विषय पर बातचीत कर रहे हैं जो भोजपुरी साहित्य और संस्कृति में अब तक लगभग अपरिचित और हाशिये का समाज है। आधुनिक शताब्दी की एक बड़ी विशेषता है कि निर्णय लेने अधिकार हासिल करना। शिक्षा ने महिला लेखन के क्षेत्र में स्त्री रचनाकारों को आगे बढ़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह पुस्तक भोजपुरी महिला साहित्यकारों की एक जीवंत  दस्तावेज है। उन्होंने आगे कहा कि स्त्री संवेदना  भोजपुरी साहित्य और संस्कृति के वाहक भी हैं और संवाहक भी हैं। भोजपुरी समाज में स्त्री वृद्धि है और समृद्धि भी।आधुनिकता ने शिक्षा के द्वारा महिलाओं की पीड़ा को खुद से व्यक्त करने का माध्यम दे दिया। मौखिक से लिखित तक पहुंचने में कितनी पीड़ा और दर्द है इस बात को समझने में इस पुस्तक में संपादित कविताएँ और कहानियां बहुत महत्वपूर्ण है। कंठ से आगे बढ़कर आज महिलाएं कलम से अपना योगदान दे रही हैं। पुरुष की जड़ता जो हजारों साल से कायम है उसको तोड़ने में वक़्त तो लगेगा लेकिन वह टूटेगा ज़रूर। इसमें महिलाओं के लेखन की भूमिका आने वाले दिनों में महत्वपूर्ण साबित होगी। भोजपुरी भाषा और समाज के लिए यह और भी महत्वपूर्ण है।पुस्तक को उन्होंने स्त्री के हाहाकार को समझने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होने भोजपुरी भाषा की साहित्यिक संपदा को समझने की दिशा में इस पुस्तक को महत्वपूर्ण माना।

विशिष्ट वक्ता डीएवी पीजी कॉलेज के डॉ सुमन सिंह ने कहा कि भोजपुरी के लोकगीतों में महिलाओं से संबंधित कई गीत ऐसे हैं जिसमें महिलाओं की उपस्थिति साफ तौर पर देखी जा सकती है। लेकिन आज तक उनकी मौजूदगी को अलग से पहचानने की कोशिश नहीं की गई। यही बुनियादी सवाल हम लोगों की जेहन में इस किताब तक पहुंचने में मदद की।

इस पुस्तक के संपादक जयशंकर प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि भोजपुरी अगर आज के समय में बची हुई है उनमें मजदूरों और महिलाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए महिलाओं के इस योगदान को देखना ज़रूरी है। हम अपनी भाषा और समाज के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं वह आज करने की ज़रूरत है। स्वागत वक्तव्य पुस्तक के संपादक भोजपुरी कवि तथा ‘भोजपुरी साहित्य सरिता’ पत्रिका के साहित्य संपादक केशव मोहन पांडेय ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो चम्पा सिंह ने दिया। इस कार्यक्रम का संचालन दिवाकर तिवारी ने किया। विश्वविद्यालय का कुलगीत सौम्या वर्मा, खुशबू कुमारी तथा सरिता पांडेय ने प्रस्तुत किया।

 

The post भोजपुरी साहित्य में महिला रचनाकारन के भूमिका- लोकार्पण और परिचर्चा appeared first on Gahana Live.

]]>
https://www.gahanalive.com/bhojpuri-samachar/role-of-women-creator-in-bhojpuri-literature-inauguration-and-discussion-3105/feed 0