Lord shree ram – Gahana Live https://www.gahanalive.com Gahana Fri, 25 Oct 2019 08:43:10 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.4 जानीं छठ व्रत से जुड़ल कहानी https://www.gahanalive.com/vrat-tyohar/story-related-to-chhath-vrat-gahana-live-2152 https://www.gahanalive.com/vrat-tyohar/story-related-to-chhath-vrat-gahana-live-2152#respond Fri, 25 Oct 2019 08:43:10 +0000 https://www.gahanalive.com/?p=2152 The post जानीं छठ व्रत से जुड़ल कहानी appeared first on Gahana Live.

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छठ व्रत के कई प्रचलित लोक-कथा बा जवना में एक कथा के अनुसार कहल जाला कि भगवान राम भी छठ पूजा कइले रहन। भगवान श्री राम सूर्यवंशी रहन, एसे जब श्रीराम लंका पर विजय करके वापस अयोध्या अइलें त आपन कुलदेवता सूर्य के उपासना खातीर सीता मइया के साथ षष्ठी तिथि के व्रत करके सरयू नदी में संध्या समय में डूबते सूर्य के अर्घ दिहलन अउर सप्तमी तिथि के भोर में उगते सूर्य के अर्घ देके पारन कईले रहन। एकरा बाद से ही बाकी लोग भी  भगवान सूर्य के आराधना करे लगलें। मानल जाला कि इ पुण्य पर्व के शुरुआत ओही समय से भईल बा।
पुराणों के मुताबिक राजा प्रियंवद को कोई संतान नहीं थी। तब महर्षि कश्यप ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराकर प्रियंवद की पत्नी मालिनी को यज्ञ आहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इससे उन्हें पुत्र हुआ, लेकिन वह मृत पैदा हुआ। प्रियंवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं और उन्होंने कहा, ‘सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। राजन तुम मेरी पूजा करो और इसके लिए दूसरों को भी प्रेरित करो।’ राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी।

यूं तो सद्भावना और उपासना के इस पर्व के सन्दर्भ में कई कथाएं प्रचलित हैं, किन्तु पौराणिक शास्त्रों के अनुसार जब पांडव जुए में अपना सारा राजपाट हार गए, तब द्रौपदी ने छठ का व्रत रखा, फलस्वरूप पांडवों को अपना राजपाट मिल गया।

भगवान राम सूर्यवंशी थे और इनके कुल देवता सूर्य देव थे। इसलिए भगवान राम और सीता जब लंका से रावण वध करके अयोध्या वापस लौटे तो अपने कुलदेवता का आशीर्वाद पाने के लिए इन्होंने देवी सीता के साथ षष्ठी तिथि का व्रत रखा और सरयू नदी में डूबते सूर्य को फल, मिष्टान एवं अन्य वस्तुओं से अर्घ्य प्रदान किया।

सप्तमी तिथि को भगवान राम ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद राजकाज संभालना शुरु किया। इसके बाद से आम जन भी सूर्यषष्ठी का पर्व मनाने लगे।

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