pollution free – Gahana Live https://www.gahanalive.com Gahana Fri, 25 Oct 2019 06:27:35 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.4 छठ पूजा काहे मनावल जाला https://www.gahanalive.com/vrat-tyohar/why-chhath-puja-is-being-celebrated-gahana-live-2145 https://www.gahanalive.com/vrat-tyohar/why-chhath-puja-is-being-celebrated-gahana-live-2145#respond Fri, 25 Oct 2019 06:27:35 +0000 https://www.gahanalive.com/?p=2145 The post छठ पूजा काहे मनावल जाला appeared first on Gahana Live.

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छठ पूजा के बड़ा महत्व बा। सुख-शाति, घर-परिवार, संतान प्राप्ति अउर साल भर सबके मंगल कामना खातिर घर में छठ पूजा मनावल जाला। छठपूजा के महत्व से संतान प्राप्ति के कई लोक-कथा प्रचलित बा जवना में कुंती के कथा भी ह। जब एगो साधु के हत्या के प्राश्चित करे खतीर महाराज पांडु आपन पत्नी कुंती और माधवी के साथ वन में दिन गुजारत रहन…ओही समय में पुत्र प्राप्ति के इच्छा से महारानी कुंती छठ व्रत कइली। सरस्वती नदी में स्नान करके सूर्य के अर्घ दिहली। कहल जाला कि इ व्रत के प्रभाव से कुंती पुत्रवती भईली। एसे संतान प्राप्ति के कामना रखे वालन खातीर छठ पर्व के बड़ा महत्व ह।

छठ पूजा मनावे के सही विधि का ह

नेम-धरम,साफ-सफाई छठ पर्व के सबसे पहिला शर्त अउर मान्यता ह। छठ पर्व के शुरुआत नहाय खाय से होला। नहाय खाय के दिन शुद्ध घी में बनल अरवा चावल, सेंधा नमक में बनल चना के दाल अउर लौकी के सब्जी दिन में प्रसाद के रूप में एक बार ही खाइल जाला। पर्व के दूसरा दिन खरना के नाम से जानल जाला। खरना के दिने भरदिन उपवास रखल जाला अउर संध्या समय में गुड़ के खीर-रोटी के प्रसाद बना के ग्रहण कइल जाला। तीसरा दिन संझत के निर्जला व्रत में रह के संध्या में अस्ताचलगामी सूर्य भगवान के अर्घ दिहल जाला अउर चऊथा दिन पारन के नाम से जानल जाला जवना में व्रती भोर में उगते सूर्य के अर्घ देके आपन व्रत खोलेला। ए तरह लोक आस्था के महा पर्व छठ पूर्ण ला।

छठ या सूर्यषष्‍ठी व्रत में कौने-कौने देवी-देवताओं के पूजा कईल जाला ?

एह व्रत में सूर्य देवता के पूजा कईल जाला, जवन प्रत्‍यक्ष दिखेला अउर सब प्राणी के जीवन के आधार होला… सूर्य के साथ-साथ षष्‍ठी देवी या छठ मैया के भी पूजा कईल जाला। पौराणिक मान्‍यता के अनुसार, षष्‍ठी माता संतानों के रक्षा करेलान अउर ओनके स्‍वस्‍थ अउर दीघार्यु बनावेली। एह अवसर पर सूर्यदेव के पत्नी उषा अउर प्रत्युषा के भी अर्घ्य देके प्रसन्न कईल जाला। छठ व्रत में सूर्यदेव अउर षष्ठी देवी के पूजा साथ-साथ कईल जाला। एह तरह इ पूजा अपनी-आप में बेहद खास होला।

सूर्य से त सभे परिचित बा, लेकिन छठ मईया कवन- देवी हई?

सृष्‍ट‍ि के अधिष्‍ठात्री प्रकृति देवी के एगो प्रमुख अंश के देवसेना कहल गईल बा। प्रकृति के छठा अंश होखले के कारण एह देवी के एगो प्रचलित नाम षष्‍ठी हवे।

 

षष्‍ठी देवी के ब्रह्मा के मानसपुत्री भी कहल गईल बा। पुराणों में एह देवी के एक नाम कात्‍यायनी भी ह। इनके पूजा नवरात्री में षष्‍ठी तिथि के होला। षष्‍ठी देवी के ही स्‍थानीय बोली में छठ मैया भी कहल गईल बा, जवन नि:संतानों के संतान देली अउर सब बालक के रक्षा करेली।

प्रथम मनु स्‍वायम्‍भुव के पुत्र राजा प्रियव्रत के कवनो संतान नाहीं रहल, एही कारण उ दुखी रहत रहने । महर्षि कश्‍यप राजा से पुत्रेष्‍ट‍ि यज्ञ करेके कहने. राजा यज्ञ करईने, जेकरे बाद उनकर महारानी मालिनी एगो पुत्र के जन्‍म देहली। लेकिन दुर्भाग्य से उ शिशु मरल पैदा भईल रहे। राजा के दुख देखके एगो दिव्‍य देवी प्रकट भईली। उ ओह मृत बालक के जीवित कर देहली। देवी के एह कृपा से राजा बहुत खुश भईने. उ षष्‍ठी देवी के स्‍तुति कईने। तबसे इ पूजा संपन्न कईल जाला।

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