बहुत बढ़िया वीणा वादक रहले रावण, जानी कईसे पड़ल नाम ‘रावण’

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इ साल दशहरा 8 अक्टूबर के मनावल जा रहल बा। आप सब इ बात से वाकिफ बानी कि रावण भगवान शिव के बहुत बड़ा भक्त रहे। रावण के जहवां असुर कहल जाला, लेकिन आपके इ जान के हैरानी होई के रावण एगो बढ़िया विद्वान होवे के साथ-साथ संगीत में भी रुचि रखत रहे। अइसनो कहल जाला कि रावण बहुत बढ़िया वीणा वादक रहे।

ravan bhaktiरावण के नाम एहुसे रावण पड़ल काहे की रावण चाहत रहे कि उ भगवान शिव के कैलाश उठाके लंका में ले आए। एकरा खातिर उ कैलाश पर्वत के उठा लिहसल। लेकिन भगवान शिव रावण के उंगली आपन अंगूठा के नीचे दबा दिहलन। रावण दर्द से चिल्लाए लागल । भगवान शिव के दया पावे खातिर उ महादेव के स्तुति करे लगल। जेसे शिव तांडव स्तोत्र कहल गईल। कहल जाला कि इ स्तोत्र से प्रसन्न होके शिव जी लंकापति के रावणनाम दिहलन।

ravanअइसन कहल जाला कि रावण 10 सिर, छह शास्त्र अउर चार वेद के प्रतीक रहल। इ तरह से उ आपन समय के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति भी रहल। एकरा अलावा एगो अउर मान्यता के मुताबिक रावण के दस सिर असल में दस नकारात्मक प्रवृत्तियों के प्रतीक बा। इ प्रवृत्ति बा काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, घृणा, ईर्ष्या, द्वेष अउर भय।

dushananएकरा पीछे एगो अउर कहानी भी बा, रावण जब भगवान शिव के तपस्या करत रहल , त भगवान शिव के प्रसन्न करे खातिर उ आपन सिर के टुकड़ा-टुकड़ा कर दिहले रहे। एहसे शिव प्रसन्न भइलन अउर रावण के समर्पण के देखते हुए हर टुकड़ा के सिर बना दिहलन। रावण आपन सिर के 10 टुकड़ा कइले रहल अउर इ तरह से ओकर 10 सिर हो गईल रहल।

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